भ्रष्टाचार का मुख्य जिम्मेदार कौन ?
देश के प्रत्येक कोने में ऊपर से निचे, दाए से बाये प्रत्येक दिशा में भ्रष्टाचार दीमक की तरह फैल गया है जो हमारे देश को खोखला कर रहा है.
सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार करता कौन है? अरे, कौन का तो सवाल ही नहीं है क्योंकि जिस देश में राजा हो या मंत्री, मंत्री हो या संत्री सभी की सभी भ्रष्ट हो तो कैसे किसी एक को दोषी ठहराया जायेगा अर्थात यह भ्रष्टाचार केवल निम्न स्तर के क्लर्क तक ही सिमित नहीं है जिसे आप पचास-सौ रूपए देकर अपनी फाइल आगे बढ़वा लेते है यह तो सी. ऍम. की कुर्सी तक भी लागू होता है जहा तक मुझे ज्ञात है सी. ऍम. भी अपनी जेब भरने के लिए अपने से निचले अफसरों पर हर्जाना लगाते है और उसको चुकता करने के लिए वे अपने से निचले अफसरों से वसूलते है और निचले अफसर साधारण जनता पर दबाव डालते है इस भ्रष्टाचार में पिसी तो जनता ही.
जनता और नेता का सम्बन्ध
यह नेता लोग साधारण जनता के द्वारा चुन कर आते है लेकिन गद्दी पर आने के बाद वह उसी जनता पर इस प्रकार जुल्म करते है जैसे वह नेता नहीं इस देश के राजा हो, हकीकत देखि जाये तब यह निष्कर्ष निकलता है की यह साधारण जनता के द्वारा दिए गए टैक्स पर पल रहे कार्यकर्ता है और कार्यकर्ता ही अपने आप को मालिक समझने लगे तो क्या होगा.
सही को सताना और गलत को शरण देना यह भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है क्योंकि बेचारा व्यापारी जो सही-सही काम करता है, पूरा टैक्स भरता हैं और उसके पास से नौकर शाहों को एडवांस घूस नहीं मिलती हैं जिससे उनके ऊपर छपे की मार और टैक्स की जल्दी-जल्दी नोटिसो की सफाई देना जैसा काम हमेशा तैयार रहता हैं परन्तु जो भ्रष्ट व्यवसायी होता है वह इन नौकर शाहों को हमेशा एडवांस टैक्स की वजाए एडवांस घूस देकर अपने साथ मिलाकर गलत काम करता रहता है और ऐश की जिंदगी जीता रहता है.
आरक्षण बनाम डिवाइड एंड रुल
आरक्षण बनाम डिवाइड एंड रुल
आरक्षण भी भ्रष्टाचार को फ़ैलाने का बहुत बड़ा कारण है क्योंकि इस आरक्षण पद्धति ने समाज को कई हिस्सों में बाट दिया है. क्या डॉ. अम्बेडकर ने आरक्षण प्राप्त करने के बाद इतना बड़ा संविधान बनाया? जो आज भी पूरे भारत में राज कर रहा है उसी संविधान से डॉ. अम्बेडकर आज भी पूरे विश्व में विख्यात है यदि वह भी आरक्षण से होते तो शायद संविधान बनाना उनके लिए भी मुश्किल होता क्योंकि आरक्षण की सीटो को भरने के लिए कम नंबर वालो का भी चुनाव हो जाता है और साधारण जनता जो हकीकत में, जिसकी संख्या आज भी ज्यादा है उसको अपनी योग्यता के हिसाब से सीट नहीं मिलती.
कम योग्यता वाले काम क्या करेंगे इसके लिए तो शेखचिल्ली की कहानिया भरी पड़ी है.
कम योग्यता वाले काम क्या करेंगे इसके लिए तो शेखचिल्ली की कहानिया भरी पड़ी है.
आधुनिक भारत के गाँधी, अन्ना
आज मैं बहुत खुश हूँ की देश में कोई तो ऐसा नागरिक उठा जिसने देश को एक जुट करके भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई देश के प्रत्येक नागरिक को आज यह कसम लेनी होगी ना तो हम घूस लेंगे न देंगे सारे काम सही-सही ढंग से करेंगे केवल मीडिया में आने के लिए या अपने आप को साफ़ सुथरा दिखने के लिए या किसी और नियति से दिखावा करने के लिए हमें श्रीमान अन्ना हजारे के अनशन पर साथ नहीं देना है बल्कि हम चाहते है की हमारे देशवासी जो कह रहे है हम श्रीमान अन्ना हजारे के साथ है उन्हें आज ही यह संकल्प लेना होगा की आज से हम कोई गलत काम नहीं करेंगे न हम घूस लेंगे न देंगे और न ही देने देंगे यदि यह प्रथा ही हट जाए तो उदघाटन के दौरान कोई पुल ही नहीं टूटे.
हमे अन्ना जी का साथ इस प्रकार देना चाहिए जैसे आजादी के समय देश की जनता ने एक जुट होकर तन मन धन से गाँधी जी का साथ दिया उसी प्रकार यदि हम बिना किसी स्वार्थ के अन्ना जी का साथ देंगे तब हमारे शहीद हुए नेताओं के सपनों जैसा देश तैयार होगा और हमें अपने देश पर सदा गर्व रहेगा.
भ्रष्टाचार नामक सर्प से बंधे देश को अन्ना जैसा जुझारू मिलने पर जो ख़ुशी आज देशवासियों को हुई हैं उसको बयान करना मतलब सूर्य को दीपक दिखाना है.
जय हिंद
Be Happy With Happy
No comments:
Post a Comment