माँ के कितने रूप होते हैं, कितने प्रकार की होती हैं. जैसे-
१) माँ जननी - वह माँ जिन्होंने हमें इस दुनिया में जन्म दिया, खुद को कितने कष्ट दिए हमको इस दुनिया में लाने के लिए। हमको पाल पोस कर समर्थ बनाया कि आज मै इस ब्लॉग पर कुछ लिख सखूं , दुनिया मुझे जाने पहचाने। सब तरह से एक कुम्हार की तरह कभी नाजुक कभी कठोर ह्रदय कर के यह रंग रूप दिया कि मै इस समाज में एक स्थान प्राप्त करूं, और समाज में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दी, उस माँ को मै कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ।
२) धरती माँ- माँ के पेट से निकलते ही बच्चा धरती माँ की गोद में फलता-फूलता है, जब बच्चा धरती पर पहला कदम रखता है तब उस बच्चे के चाहने वाले कितने खुश होते हैं की मेरे बच्चे ने आज चलने की शुरुवात कर ली है. शास्त्रों में भी लिखा है सुबह बिस्तर पर से उठने से पहले धरती पर पैर रखने की जगह हाथ से छूह कर प्रणाम करते हैं।
३) गाय माता- हिन्दू समाज में गाय को माँता का रूप दिया गया है। गाय के दूध में बहुत ताकत होती है, बच्चा गाय का दूध पीकर ही एक पूर्ण परिपक्व मनुष्य बनता है. शास्त्रों में लिखा है, गाय के प्रत्येक रोएं में भगवान के विभिन्न रूपों का निवास होता है।
लेकिन उसके बाद भी इंसान कितना स्वार्थी है जब गाय बूढ़ी होकर दूध देना बंद कर देती है उस गाय को उसका मालिक चर्म बनाने वाले को बेच देता है और तड़पती हुई गाय टुकड़े-टुकड़े में बदल जाती है, और उसी माँ के पुत्र बड़े चाव से उसी चमड़े से बने महंगे-महंगे purse, bag, wallet, आदि खरीदते है।
४) देवी माँ- देवी माँ के अनेक रूप हैं जैसे- माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, माँ काली। परन्तु माँ शब्द में सबसे ऊपर दुर्गा माँ का नाम आता है. ऐसी मान्यता है कि इनमे समस्त देवियों का रूप आता है माँ की भक्ति से हमें मन की शक्ति मिलती है उसी मन की शक्ति से हम बुरी से बुरी परिस्थिति को भी धैर्य से अच्छा बना लेतें हैं.
यदि मन में यह विचार है की माँ मेरे साथ है, माँ की छत्र छाया मेरे ऊपर है, तो कोई भी बुरी ताकत हमें नहीं छू सकती। परंतु बहुत से लोग इस दैवीय शक्ति का भी दुरपयोग करते हैं.
५) गंगा माँ-नदियाँ तो बहुत सी हैं, देश हो या विदेश, किसी भी नदी को माँ कहना गलत नहीं होगा क्योंकि इन नदियों के कारण ही हमें खाने को अन्न, पीने को पानी, पहनने को वस्त्र, बल्कि समस्त जरूरतें इन नदियों से ही पूरी होती है। हमारे देश में गंगा नदी को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। पुराणों में लिखा है- महाराज भागीरथ ने अथक प्रयास के बाद गंगा माँ को धरती पर लाने में सफलता प्राप्त की थी। कहावत भी बनी हुई है, " भागीरथ प्रयास " अर्थात किसी काम के लिए बहुत अधिक महनत करना।
किन्तु यह कितने शर्म की बात है, जिस गंगा को इतने अथक प्रयास के बाद धरती पर लाया गया उनकी आज इतनी बुरी स्थिति हो गयी है। बनारस जैसे देव शहर में जिसको शिव नगरी कहतें हैं, उस जगह की गंगा में आचमन करना भी दूभर हो गया है।
हिमालय की गोद से निकलते समय गंगा स्वच्छ साफ़ सुन्दर लहराती हुई होती है, ऐसा प्रतीत होता है मानो, युवा स्त्री आम के बाग़ में आम के पेड़ पर झूला डालकर सावन का मज़ा ले रही हो। गंगा का जल इतना स्वच्छ होता है, यदि एक बोतल नल के पानी में एक चम्मच हिमालय से निकलती गंगा का पानी मिला दिया जाए तो वह पानी पूरी तरह स्वच्छ हो जाएगा एवं पानी खराब नहीं होगा। परन्तु जैसे-जैसे गंगा हिमालय की गोद से आगे आती है उसमें गंदगी समाती जाती है आज जगह-जगह गंदे नाले का पानी गंगा में छोड़ा हुआ है, जिसकी सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जो जनता की ही जेब से जाते हैं किन्तु लाचार जनता अपने ही रुपयों को नेताओं के द्वारा शोषण होते देखती है।
आज माँ गंगा का इतना बुरा हाल है, हिमालय से जब वह सज कर निकलती है समुद्र से मिलन के लिए, सुन्दर गंगा काली पड़ चुकी होती है।
आज जब एक पुत्र अपनी जननी माँ का पूरा करने से कतराता है, उस माँ से दूर चले जाना चाहता है, माँ धरती की हरियाली को तिल-तिल खत्म कर रहा है, माँ दुर्गा के पास केवल स्वार्थ के लिए प्रणाम करने जाएगा, ऐसे में हम कैसे उम्मीद करें कि कोई पुत्र शपथ लेकर माँ गंगा को बचा पायेगा।
बड़े-बड़े साधू-सन्यासी गंगा की सफाई के लिए अलग-अलग जगह पर अन्न-जल त्यागते हैं, उसकी वजाए एक जुट होकर गंगा सफाई अभियान शुरू करें तब अधिक सफलता प्राप्त होगी। पंजाब में जिस प्रकार कार सेवा को सबसे ज्यादा महत्व देतें है, उसी प्रकार गंगा अभियान में हम सबको कार सेवा की शपथ लेनी चाहिए।
४) देवी माँ- देवी माँ के अनेक रूप हैं जैसे- माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, माँ काली। परन्तु माँ शब्द में सबसे ऊपर दुर्गा माँ का नाम आता है. ऐसी मान्यता है कि इनमे समस्त देवियों का रूप आता है माँ की भक्ति से हमें मन की शक्ति मिलती है उसी मन की शक्ति से हम बुरी से बुरी परिस्थिति को भी धैर्य से अच्छा बना लेतें हैं.
यदि मन में यह विचार है की माँ मेरे साथ है, माँ की छत्र छाया मेरे ऊपर है, तो कोई भी बुरी ताकत हमें नहीं छू सकती। परंतु बहुत से लोग इस दैवीय शक्ति का भी दुरपयोग करते हैं.
५) गंगा माँ-नदियाँ तो बहुत सी हैं, देश हो या विदेश, किसी भी नदी को माँ कहना गलत नहीं होगा क्योंकि इन नदियों के कारण ही हमें खाने को अन्न, पीने को पानी, पहनने को वस्त्र, बल्कि समस्त जरूरतें इन नदियों से ही पूरी होती है। हमारे देश में गंगा नदी को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। पुराणों में लिखा है- महाराज भागीरथ ने अथक प्रयास के बाद गंगा माँ को धरती पर लाने में सफलता प्राप्त की थी। कहावत भी बनी हुई है, " भागीरथ प्रयास " अर्थात किसी काम के लिए बहुत अधिक महनत करना।
किन्तु यह कितने शर्म की बात है, जिस गंगा को इतने अथक प्रयास के बाद धरती पर लाया गया उनकी आज इतनी बुरी स्थिति हो गयी है। बनारस जैसे देव शहर में जिसको शिव नगरी कहतें हैं, उस जगह की गंगा में आचमन करना भी दूभर हो गया है।
हिमालय की गोद से निकलते समय गंगा स्वच्छ साफ़ सुन्दर लहराती हुई होती है, ऐसा प्रतीत होता है मानो, युवा स्त्री आम के बाग़ में आम के पेड़ पर झूला डालकर सावन का मज़ा ले रही हो। गंगा का जल इतना स्वच्छ होता है, यदि एक बोतल नल के पानी में एक चम्मच हिमालय से निकलती गंगा का पानी मिला दिया जाए तो वह पानी पूरी तरह स्वच्छ हो जाएगा एवं पानी खराब नहीं होगा। परन्तु जैसे-जैसे गंगा हिमालय की गोद से आगे आती है उसमें गंदगी समाती जाती है आज जगह-जगह गंदे नाले का पानी गंगा में छोड़ा हुआ है, जिसकी सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जो जनता की ही जेब से जाते हैं किन्तु लाचार जनता अपने ही रुपयों को नेताओं के द्वारा शोषण होते देखती है।
आज माँ गंगा का इतना बुरा हाल है, हिमालय से जब वह सज कर निकलती है समुद्र से मिलन के लिए, सुन्दर गंगा काली पड़ चुकी होती है।
आज जब एक पुत्र अपनी जननी माँ का पूरा करने से कतराता है, उस माँ से दूर चले जाना चाहता है, माँ धरती की हरियाली को तिल-तिल खत्म कर रहा है, माँ दुर्गा के पास केवल स्वार्थ के लिए प्रणाम करने जाएगा, ऐसे में हम कैसे उम्मीद करें कि कोई पुत्र शपथ लेकर माँ गंगा को बचा पायेगा।
बड़े-बड़े साधू-सन्यासी गंगा की सफाई के लिए अलग-अलग जगह पर अन्न-जल त्यागते हैं, उसकी वजाए एक जुट होकर गंगा सफाई अभियान शुरू करें तब अधिक सफलता प्राप्त होगी। पंजाब में जिस प्रकार कार सेवा को सबसे ज्यादा महत्व देतें है, उसी प्रकार गंगा अभियान में हम सबको कार सेवा की शपथ लेनी चाहिए।