भारत देश की जनता निरीह प्राणी है। भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता जो नेताओं के, सरकार के, सरकारी कर्मचारियों के, पुलिस के जुल्म की शिकार जनता है, अपने बचाव में जो भी कदम उठाती है उसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का गुनाह कहा जाता है। बेचारी जनता क्या करे यदि वह इन भ्रष्ट लोगों का साथ नहीं देती है तो कहीं तन से, कहीं मन से, तो कहीं धन से नुकसान उठाती है। आज के समय में यदि सही को सही कहने के लिए भी सरकारी कर्मचारी को घूस न दो तो वह सही को भी गलत ठहरा देता है। उदाहरण के तौर पे- माना एक व्यापारी है जो TENDER का काम करता है, उसने पूरी इमानदारी से से SAMPLE DRAFTING की तथा QUOTATION तैयार किये, परन्तु उसने TENDER PASS करने वाले को कुछ दिया नहीं तो उसका TENDER REJECT हो गया, परन्तु दूसरी तरफ गलत QUOTATION वाले से घूस लेकर उसका TENDER PASS कर दिया जाता है, जिसका नतीजा है की सड़के इधर बनती हैं और उधर टूट जाती हैं, पूल के INOGRATION के दौरान ही वह ढह जाता है। अब POLICE DEPARTMENT में देखिए, जगह-जगह चौराहों पर POLICE वाले घूस लेकर दीन-दहाड़े ट्रक, ट्रैक्टरों को शहर में घुसने की इजाज़त दे देते हैं, वहीं अगर रात के समय कोई ड्राईवर अगर चाय-पानी का देने से मना कर देता है, उसको अवैद्य घोषित कर दिया जाता है।
चालान के नाम पर केवल अवैध धंधे।
हमारे देश के नेता तो इतने महान हैं, ELECTION जीतने के बाद तो वे समझते हैं कि पाँच सालों में उनको करोड़ो-अरबों कमाने का मौका मिल गया। कहीं TRANSFER के नाम की धमकी से पैसे वसूलते हैं, तो कहीं अपना BIRTHDAY मनाने के नाम पर व्यापारियों से गुंडा टैक्स वसूलते हैं। TAX के नाम पर व्यापारियों की ऐसी धज्जियाँ उड़ाई हुई है की व्यापारी मजबूरी में अपने बच्चों को व्यापार छुड़ा कर ऊंची-नीची कैसी भी पढ़ाई करा कराकर सरकारी नौकरी करवाना चाहते हैं ताकि कोइ भी सरकारी नौकरी पाकर सरकारी ज़ुल्मों से तो बचा जा सकेगा।
शिक्षक इमानदारी एवं सच के रास्ते पर चलने का मार्ग दिखाते हैं परन्तु ये भ्रष्ट लोग आम आदमी को इतनी तासना देते हैं कि बेचारी जनता इन भ्रष्ट लोगों के आगे घुटने टेक देती है।
जय हिन्द
आज का उवाच :
उपरोक्त स्थिति को देखते हुए क्यों न भ्रष्टाचार के लेन-देन को कानूनी मान्यता ही देदी जय।
चालान के नाम पर केवल अवैध धंधे।
हमारे देश के नेता तो इतने महान हैं, ELECTION जीतने के बाद तो वे समझते हैं कि पाँच सालों में उनको करोड़ो-अरबों कमाने का मौका मिल गया। कहीं TRANSFER के नाम की धमकी से पैसे वसूलते हैं, तो कहीं अपना BIRTHDAY मनाने के नाम पर व्यापारियों से गुंडा टैक्स वसूलते हैं। TAX के नाम पर व्यापारियों की ऐसी धज्जियाँ उड़ाई हुई है की व्यापारी मजबूरी में अपने बच्चों को व्यापार छुड़ा कर ऊंची-नीची कैसी भी पढ़ाई करा कराकर सरकारी नौकरी करवाना चाहते हैं ताकि कोइ भी सरकारी नौकरी पाकर सरकारी ज़ुल्मों से तो बचा जा सकेगा।
शिक्षक इमानदारी एवं सच के रास्ते पर चलने का मार्ग दिखाते हैं परन्तु ये भ्रष्ट लोग आम आदमी को इतनी तासना देते हैं कि बेचारी जनता इन भ्रष्ट लोगों के आगे घुटने टेक देती है।
जय हिन्द
आज का उवाच :
उपरोक्त स्थिति को देखते हुए क्यों न भ्रष्टाचार के लेन-देन को कानूनी मान्यता ही देदी जय।